नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत लोन की सुविधा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन बकरी पालन के लिए आ रहे हैं.

ऐसा सरकारी आंकड़ा बताता है. बकरे के मीट ही नहीं अब बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ रही है.

दूध की इसी डिमांड को पूरा करने के लिए बकरियों की एक खास नस्ल का जिक्र हमेशा होता है.

फायदे की बात ये है कि गाय के मुकाबले इसे खाने में कम चारा चाहिए होता है.

बीटल नस्ल की इस बकरी के बारे में बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (बासु), पटना, बिहार के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह भी कई खूबियां गिनाते हैं.

वीसी डॉ. इन्द्रजीत सिंह की मानें तो बीटल नस्ल की बकरी प्रति दिन 5 लीटर तक दूध देती है.

जबकि देसी गाय के दूध का एवरेज 2.5 से तीन लीटर प्रति दिन है. गाय को रोजाना सात से आठ किलो सूखा चारा चाहिए,

बीटल बकरी को पाल लेता है तो उसका दूध पर होने वाला खर्च बहुत ही कम हो जाएगा

क्योंकि आज बकरी के दूध की डिमांड को देखते हुए उसकी कोई एक कीमत तय नहीं है.

डेंगू बीमारी के दौरान बकरी के दूध की बहत डिमांड रहती है

बीमारी में फायदा लेने के लिए लोग मोटी रकम खर्च कर बकरी का दूध पीते हैं.