देश में अंगूर की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है और किसान इसकी खेती करके अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं.
साल 2024 में एपिडा के आंकड़ों के अनुसार, अंगूर की खेती का क्षेत्रफल लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर है.
इसलिए यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है.
थॉम्पसन सीडलेस सबसे लोकप्रिय किस्म है, जो लगभग 78.96% क्षेत्र में उगाई जाती है
खेत को तैयार करके 90x90 सेमी के गड्ढे खोदे जाते हैं.
पौधे लगाते समय, किस्म और लगाने की विधि के हिसाब से दूरी कम-ज्यादा हो सकती है. बेल लगाने के तुंरत बाद पानी देना ज़रूरी होता है.
जिसमें बेलों को तारों के जाल पर फैलाया जाता है. नियमित छंटाई से अच्छी फसल मिलती है.
अंगूर की 5 साल पुरानी बेलों के लिए नाइट्रोजन, पोटाश, पोटेशियम सल्फेट और गोबर की खाद की जरूरत होती है.
फल की तेज वृद्धि और क्वालिटी के लिए बूस्टर देना चाहिए. इससे दानों का आकार दो गुना हो जाता है.
पूसा सीडलेस किस्म में पूरे फूल आने पर 45 पीपीएम कंसंट्रेशन की दवा 450 मिग्रा प्रति 10 ली.
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