अद्भुत और अलौकिक है Trimbakeshwar मंदिर की गाथा, इस लिए चढ़ा दिया जाता है चांदी का पंचमुख वाला मुकुट। त्रयम्बकेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है यह नाशिक में गोदावरी नदी के तट पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित है यह मंदिर की गाथा काफी दुर्लभ और चमत्कारी है इस गोदावरी नदी का उद्गम महर्षि गौतम के अनुसार शिवजी ने गोदावरी नदी को प्रकट करवाया था जिसकी वजह से इसके तट पर इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी है यह मंदिर जन जन की आस्था का प्रतिक है इस मंदिर को त्रिमूर्ति तीर्थ के रूप में जाना जाता है।
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त्र्यंबकेश्वर इतना प्रसिद्ध क्यों है?
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध है यह ज्योतिर्लिंग जिसमे यह काफी चमत्कारी भी है यह शिवलिंग तीन मुखो वाला है जिसकी वजह से यह चमत्कारी है यह ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी वजह से यह मंदिर काफी अधिक चर्चित नजर आने लगता है यह मंदिर महाराष्ट्र में 3 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
त्र्यंबकेश्वर में लिंग क्यों नहीं है?
आपको बताते चले की यह मंदिर में स्थित लिंग पर अधिक पानी के चड़ाव की वजह से यह लिंग काफी कम हो गया इसमें चांदी के पंचमुख वाला मुकुट चढ़ाया जाता है जिसकी वजह से यह काफी अधिक चर्चित है इस लिंग में त्रिदेव (ब्रह्मा विष्णु शिव) के स्वर्ण मुखौटे के ऊपर रखा गया है यह मानव समाज के लिए क्षरणशील प्रकृति का यह प्रतीक है।

क्या हम त्र्यंबकेश्वर में शिवलिंग को छू सकते हैं?
यदि भक्तो के द्वारा रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करना चाहते है तो इस शिवलिंग को हाथ लगा सकते है प्रत्येक ज्योतिर्लिंग को हाथ लगा सकते है लेकिन सभी ज्योतिर्लिंगों में शिवलिंग को हाथ लगाने का समय अलग है लेकिन त्रिम्बकेश्वर मंदिर में शिवलिग को हाथ लगाने का समय सुबह 6 बजे से 7 बजे तक का समय रखा गया है।
त्र्यंबकेश्वर की शक्ति क्या है?
यह मंदिर काफी अधिक चमत्कार है जिसके दर्शन करने से ही भक्तो की मनोकामना पूर्ण हो जाती है यह मंदिर काले फतरो से बनाया गया है यह मंदिर की शक्ति त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की निराकार शाश्वत शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करता है। जिसकी वजह से यह काफी अधिक चमत्कारी है।
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त्र्यंबकेश्वर कितने साल का है?
यह मंदिर का निर्मानं काफी वर्षो पुराना है इस मंदिर को काली चट्टान से बनाया गया है जिसे एक आकर्षित स्वरुप प्रदान किया गया है जिसे किसी मूर्तिकार द्वारा बनाया गया यही नही इस मंदिर का निर्माण 1000 साल पुराना है यह काफी वास्तुकला का अद्भुत अनुभव करवाती है इस मंदिर में काफी अधिक शांति का प्रतिक भी माना जाता है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर किसे जाना चाहिए?
मंदिरो में सभी को जाना चाइये लेकिन बहुत से लोगो को किसी मन को लेकर कई तरह की शंका होती है जिसकी वजह से यह एक प्रकृति है जिसे दिव्य आशीर्वाद चाहते हैं या भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत की खोज कर रहे हैं इन लोगो को त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाना चाइये यह मंदिर भक्ति का एक अटूट स्थान यही नही इसके साथ ही इस मंदिर में शांति, प्रकृति, आध्यात्मिक भक्ति, भक्ति आदि का एक अटूट स्थान है उस स्थान पर अवश्य जाना चाइये जिसके साथ ही एक अलग ही भाव की अनुभूति को देखने के लिय मिलता है जिसकी वजह से यह ज्योतिर्लिंग काफी फेमस है।
त्र्यंबकेश्वर में क्या खास है?
यह मंदिर अन्य मंदिरो और इसमें स्थापित मूर्ति एक अलग ही आकर्षण का केंद्र है यही नही इस स्थान में शिवलिंग जो अन्य शिवलिग से अलग है जिस्को वजह से यह खास बनाता है इसमें आपको अनूठे तीन मुख वाले लिंग के लिए विशेष है जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतिनिधित्व करता है । यह भगवान् शिव की भक्ति करने का एक आध्यात्मिक केंद्र है जिसकी वजह से यह अन्य मंदिरो और ज्योतिर्लिंगों में से एक अलग ही बनता है।
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अद्भुत और अलौकिक है Trimbakeshwar मंदिर की गाथा, इस लिए चढ़ा दिया जाता है चांदी का पंचमुख वाला मुकुट।

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