(स्वरचित :- अंजलि शुक्ला, अम्बाह, मध्यप्रदेश)
ज़िंदगी में ख़्वाब देखना बड़ी बात नहीं होता है, बड़ी बात है उन ख्वाबों को पूरा करना। एक ख़्वाब सपना ने भी देखा था और आखिरकार उस ख़्वाब को उसने पूरा भी कर दिखाया ।
आज सपना का चयन डी एस पी पद पर हो गया है । जिस कॉलेज से उसने पढ़ाई की थी वहाँ आज उसका सम्मान समारोह किया जा रहा था। कार्यक्रम बस समाप्त होने को ही था की अचानक विद्यार्थियों की भीड़ से एक छात्र ने उससे कहा कि “मैम आप बहुत खुश नसीब है कि आप डीएसपी पद पर चयनित हुई है” । सपना ने उस छात्र का हंस कर अभिनंदन किया।
जब सपना कॉलेज से वापस घर की तरफ़ जा रही थी तभी उसका ध्यान अपने जीवन की उन कठिनाइयों के समुंदर में जा पहुँचा जहां पर उसने कई संघर्षों का सामना किया था। जब सपना 11 वर्ष की थी तब उसके माता-पिता ने उसकी शादी एक किसान परिवार में करा दी गई थी । सपना ने आठवीं तक की पढ़ाई अपने ससुराल से मायके आकर की थी। अब सपना के ससुराल वाले उसे आगे बिल्कुल पढ़ाना नहीं चाहते थे और उनकी सोच थी कि वह अब घर गृहस्थी को संभाले ना कि पढ़ाई लिखाई में अपना समय बर्बाद करे ।
लेकिन सपना का तो पढ़ाई में बहुत मन लगता था । वो चाहती थी कि वो आगे पढ़े और कुछ अलग करके दिखाए । लेकिन अब ससुराल वालों को कैसे मनाए ? उसने सोचा क्यों ना मैं अपने माता-पिता से कहूं तो शायद वही ससुराल वालों को मनाएं । उसके माता-पिता की बातों को भी उसके ससुराल वालों ने नहीं माना और अब सपना बहुत परेशान थी कि वो कैसे अपनी पढ़ाई को आगे जारी रखे । सपना कुछ दिनों के लिए मायके आयी हुई थी। वो अपने माता-पिता से निवेदन कर रही थी कैसे भी उसकी पढा’ई फिर से शुरू करवाई जाये । इस समय उसके मामा उसकी मां से मिलने आए हुए थे, तब उसके मामा जी ने यह बात सुनी कि सपना आगे पढ़ना चाहती है; तो उन्होंने सपना से कहा कि “मैं तुम्हें आगे पढ़ाऊंगा” । सपना के मामा उसे अपने साथ ले जाकर उसकी आगे की पढ़ाई करा रहे थे। इस पर सपना के ससुराल वालों ने अपना अपमान समझा और सपना के मायके वालों को बिना बताए उसके पति की दूसरी शादी करवा दी । इस बारे में सपना के मायके वालों को कोई जानकारी नहीं थी। कुछ समय बाद जब सपना के गांव वालों ने उसके माता-पिता को बताया कि उनकी बेटी के पति की शादी दूसरी लड़की से हो चुकी है तो मानो उनके पैरों तले जमीन ख़िसक गयी । उन लोगों को बहुत दुख हुआ लेकिन उन्होंने सपना को इस बारे में कुछ नहीं बताया । बताते भी कैसे..? डर जो था कि अगर उसको बता दिया गया तो कहीं उसके पढ़ने का सपना अधूरा ना रह जाए ।
सपना के मामा को जब यह पता लगा कि सपना के पति की दूसरी शादी हो गई है तो उन्होंने सपना से कुछ नहीं कहा लेकिन वो सपना को भावनात्मक रूप से तैयार करते रहे । कभी ना कभी तो सपना को पता चलेगा ही कि उसके पति की दूसरी शादी हो चुकी है । उन्होंने सपना से कहा कि तुम्हे इस समाज के लिए एक मिसाल बनना है बस तुम अपनी पढ़ाई में मन लगाकर पढ़ो मैं तुम्हारी हर जगह पर सहायता करूंगा । लेकिन कुछ समय बाद जब सपना का ग्रेजुएशन हो गया तो उसे पता लगा कि उसके पति की दूसरी शादी हो गई है और इस बारे में उसे कुछ भी नहीं पता है। सपना मानो एक दम से टूट सी गयी, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उसे अपने जीवन का कोई उद्देश्य नहीं दिख रहा था । जब उसके मामा जी को पता लगा कि उसे सब सच पता चल चुका है तो उन्होंने सपना को समझाया किसी के होने या न होने से ज़िंदगी रूकती नहीं है , तुम्हे अब अकेले चलना है और इस समाज को वो कर के दिखाना है जिसकी किसी को उम्मीद भी न हो । सपना के मामा जी उसको जितना अंदर से मजबूत बना रहे थे उतना ही ये समाज उसे कमज़ोर करने की कोशिश कर रहा था। आस पड़ोस के रिश्तेदार सपना को हमेशा ताना देते थे कि ये तो एक मनहूस और बदनसीब लड़की है जिसने अपना ही घर उजाड़ दिया, जिसने अपनी गृहस्थी पर ध्यान नही दिया और पढ़ने के चक्कर में अपने हँसते खेलते संसार को तहस नहस कर दिया । सपना बहुत दुखी थी पर अपना दुख किसी को बताना नहीं चाहती थी । उसने मन ही मन में यह दृढ़ संकल्प किया कि वो कुछ ऐसा करके दिखाए जिससे वो समाज में एक मिसाल बने । समाज को ये बता सके की बदनसीब वो नहीं है, बदनसीब वो लोग है जिन्होंने उसके साथ ये सब किया । उसने ठान लिया और अपनी मेहनत में जुट गई । सपना ने कई उतार-चढ़ाव देखे और उन उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हुए उसने अपनी तैयारी पर पूरा ध्यान लगाया । धीरे-धीरे समय बीतता गया और उसकी मेहनत भी रंग लाने लगी । आख़िरकार उसने स्टेट पीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी और मेरिट में उसको डीएसपी का पद मिला । सपना और उसके मामाजी ही नहीं बल्कि पूरा परिवार बहुत खुश था। साथ ही साथ वो भी लोग अब तारीफ करते नहीं थक रहे थे जो कल तक सपना को मनहूस कहते थे। सबको सपना पर बहुत गर्व हो रहा था कि हमारी बेटी ने हार नहीं मानी और जो ठाना था वो आखिरकार हासिल कर ही लिया। सपना अब अपनी यादों के समंदर से बाहर आ चुकी थी और सोच रही थी कि कहीं उसने सही समय पर अपने ख्वाबों की आवाज़ को नहीं सुना होता तो शायद वो आज यह नहीं होती ।