चलिए अब आपको बताते है , किसी भी राजनीतिक पार्टी की सचाई………..
दो समुदाय आपस में गुत्थम गुत्था हो रहे थे, लोग लहू-लुहान हो रहे थे. एक दल नेता को काले झंडे दिखाना चाहता था तो दूसरा दल हर तरीके से उन्हें रोक रहा था. चुनावी समय था, आनन् फानन में पुलिस आई और सब को थाने ले गई. मुकद्दमे बने, थाने में पिटाई हुई सो अलग.सब ने अपने अपने आकाओ को फोन लगाया, किसी तरह जमानत तो हो जाये. नेता जी फोन उठा नहीं रहे थे, पूरी रात थाने में बीती..
मन में अनायास ही विचार आया ” क्या इन्ही लोगो के लिए हम जान पर खेल गए ?” चुनाव जीतते ही हम क्यों अछूत हो जाते है. नेता कार्य कर्ताओ को अनुशाशन की नसीहत देने लगते है. लोग आपस में अपने दल और नेताओ के नाम पर एक दुसरे की माँ – बहिन एक कर देते है. फेस – बुक पर जो द्वन्द युद्ध देखने को मिलता है !!! लोग एक दुसरे के खून के प्यासे हो जाते है. लेकिन भाई इस आपस की लड़ाई से क्या होगा ? क्या देश का कुछ भला होगा ? हाँ, भला जरुर होगा, खद्दर धारी इन बबूला भगतो का, इन की राजनीती चमक जाएगी. पीछे रह जाएँगे हम और आप. नेता जी सत्ता में आते ही आप से पूछेंगे “अपुन कौन ” ??? बाद में आने के लिए कहा जाएगा, नियमो का हवाला दिया जाएगा, आप ज्यादा बोले तो बाहर का रास्ता दिखा दिया जायगा.
ये कहानी किसी एक दल की नहीं, सभी की यही है.स्विस बैंक में खाते सभी के है. घपले-घोटाले सभी के है. मत लड़ो आपस में, मत बांटो देश को धर्म और जाती के नाम पर, मत फैलाओ नफ़रत की राजनीती.सोचो – समझो और स्व- विवेक से काम लो. दुसरे की स्वार्थपूर्ति का साधन मत बनो
बहुत ख़ूब।