Dear चाय,
हम आख़िर बार 2 साल पहले मिले थे ना ? चाय वाली नुक्कड़ पर आज बहुत मन हुआ जा कर वहाँ चाय पीने का सो आज चला गया, वो चाय वाला मुझे देख कर बहुत ख़ुश हुआ। उसने बिना बोले तुम्हारी पसंदीदा आदरख इलायची वाली चाय बना कर दिया, 2 कप वो भी कुल्हड़ में ला कर रख दिया। तुमको तो कुल्हड़ में चाय बहुत पसन्द है ना, आज सोचा तुमसे रूबरू किया जाए, कुछ बातें किया जाए।
मैं ठीक हूँ । बाक़ी सब भी ठीक है। तुम कैसी हो। बाक़ी सब कैसा है ?
बाक़ी सब में कितना कुछ समा जाता है न, मौसम, प्यार, तबीयत, नौकरी, घरवाले, वैसे भी करोना काल में सब कुछ ठीक कैसे हो सकता है, फिर भी हम सब बोलते ही है सब ठीक है, कितना ठीक है वो हम जानते है। अरे घबराओ मत तुम्हारी याद में पागल नहीं हुआ जा रहा ।चाय पहले जितनी ही पीता हूँ।हा तुम्हारी हिस्से की चाय अपनी दोस्त को पिला देता हु, 😉 एक लड़की से दोस्ती भी कर ली है उसकी शक्ल तुमसे नहीं मिलती है । उसका कुछ भी तुमसे नहीं मिलता लेकिन उसकी हर एक बात तुम्हारी याद दिलाती है । उसको मेरी डायरी बहुत पसंद है। वही तुम्हारी वाली डायरी जिसमें केवल तुम्हारे लिए कविता लिखता था। उसको तुम्हारे बारे में सब बता दिया है । वो कहती कि डायरी के बचे हुए पन्ने मैं उसके लिए कविता लिख के भर दूँ। लेकिन कविता है कि अब लिखी ही नहीं जाती।
मैंने तुम्हारे लिए फूल, पत्ती, चाँद सितारे वाली न जाने कितनी टुच्ची कविताएँ लिखीं होंगी । कवितायें जो सही में टुच्ची थीं जिनका केवल और केवल एक मतलब ‘प्यार’ था।
तुम्हारी डायरी बहुत दिनों से अलमारी में सुलग रही थी । कभी ग़लती से भी डायरी को पलट लेता था पूरा शरीर छिल जाता था। अब वो डायरी को छूने का दिल नहीं करता। आख़री बार हम चाय वाले नुक्कड़ पर ही मिलते थे, 4 घंटे का वक़्त मिण्टो में गुज़र गया। हम दोनो वक़्त को रोकना चाहते थे, पर वक़्त है कि निकल ही जाता है।
अब चाहकर भी मैं कवितायें नहीं लिख पाता।
“तुम पर लिखना शुरू करता हु तो एक असम्भव प्रेम कहानी लिख देता हु, फिर एक मोड़ के बाद तन्हाई का आलम शुरू हो जाता है, मैं उसको बदल नहीं पाता।
मुट्टी बंद करता हु तो लगता है तो लगता है उँगलिया थाम रखी है मैंने, खोल देता हु तो लगता है की तुम्हारी हाथ छूट रहा है मेरे से, हड़बड़ी में हाथ आगे करता हु तो लगता है सही वक़्त पर हाथ क्यों नहीं बढ़ाया सोच कर पछताता हु मैं।”

“समय मिले तो आकर मिलनावो चाय वाली नुक्कड़ पर कुछ न बोलेंगें हम ज़ुबाँ सेबस चाय की प्याले आपस मे बात करे।
पलटेंगे पेजों को यूँ हीं लफ्ज़ सुनेंगें हज़ारों पर,समय मिले तो आकर मिलना, वो चाय वाली नुक्कड़ पे” !
रेडWine♥️