न्यूज डेस्क, अमर उजावला, भोपाल
Updated Sun, 01 Nov 2020 09:09 AM IST
नरेंद्र मोदी-शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
आपका कोटि कोटि धन्यवाद, प्रधानमंत्री जी! 🙏🏾 https://t.co/mgrY0GGwoZ
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 1, 2020
एक नवंबर 1956 को हुई थी राज्य की स्थापना
देश में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। सन 1951-1952 में देश में पहले आम चुनाव कराए गए। इस कारण संसद एवं विधान मंडल कार्यशील हुए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में बांटा गया। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप एक नवंबर, 1956 को नए राज्य के तौर पर मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इसका पुनर्गठन भाषायी आधार पर किया गया था। इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश एवं भोपाल थे जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। पहले इसे मध्य भारत के तौर पर भी जाना जाता था।
भोपाल का राजधानी के तौर पर हुआ चयन
राज्य के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी किया गया। भोपाल को मध्यप्रदेश की राजधानी के तौर पर चुना गया। राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित किया गया। राज्य गठन के समय इसके जिलों की संख्या 43 थी। वर्तमान में यहां 52 जिले हैं।
राजधानी के लिए कई बड़े शहरों में थी आपसी लड़ाई
राज्य की राजधानी के लिए राज्य के कई बड़े शहरों में आपसी लड़ाई चल रही थी। राजधानी के लिए सबसे पहला नाम ग्वालियर फिर इंदौर का सामने आ रहा था। वहीं राज्य पुनर्गठन आयोग ने जबलपुर का नाम सुझाया था लेकिन भोपाल में भवन ज्यादा थे जो सरकारी कामकाज के लिए पर्याप्त थे। इस वजह से भोपाल को राज्य की राजधानी के तौर पर चुना गया।