किंगमेकर साबित हो सकता है यह दल
ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट में कुशवाहा की रालोसपा (RLSP), असदुद्धीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की AIMIM, मायावती (Mayawati) की बसपा (BSP), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suhaldev Bharatiya Samaj Party), समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक (Samajwadi Janata Dal Democratic) और जनतांत्रिक पार्टी (समाजवादी) (Janatantrik Party (Socialist)) शामिल हैं. उम्मीद की जा रही है कि ये 6 पार्टियां राज्य में 10 फीसदी वोट हासिल करने का दमखम रखती हैं और अगर चुनाव कड़ा हुआ, तो ये पार्टियां किंग मेकर साबित हो सकती हैं.
क्यों मजबूत नजर आ रही हैं ये पार्टियांफ्रंट की तीन बड़ी पार्टियां रालोसपा 104, बसपा 80 और एआईएमआईएम 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी सीमांचल में कुछ सीटें जीत सकती हैं. जबकि औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास, पूर्वी चंपारण, बक्सर, शेखपुरा, जमुई और मुंगेर रालोसपा के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं. मायावती की बसपा की रोहतास, कैमूर और गोपालगंज में अच्छी पकड़ मानी जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि अपने-अपने प्रभाव वाली सीटों पर ओवैसी और मायावती केवल आरजेडी और कांग्रेस ही नहीं, बल्कि जदयू को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
जनतांत्रिक पार्टी (समाजवादी) के संजय सिंह चौहान का घोसी इलाके में काफी प्रभाव है. जबकि, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर रोहतास और कैमूर में बड़ी संख्या में अनुसूचित राजभर सीटें जीत सकते हैं. इसके अलावा समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के देवेंद्र यादव मधुबनी और दरभंगा में बड़े वोट पाने में सक्षम हैं.
नीतीश हैं निशाने पर
मायावती और कुशवाहा ने बसपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले काराघर और भभुआ में दो रैलियां की हैं. जबकि, कुशवाहा-ओवैसी की जोड़ी ने 18 संयुक्त चुनावी सभाएं की हैं. रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव राहुल कुमार कहते हैं ‘कम से कम 40-45 सीटों पर हमें 5 हजार से लेकर 35 हजार से ज्यादा वोट मिलेंगे.’ इतना ही नहीं उन्होंने साफ किया है कि वे कोरी-कुर्मी-धानक आबादी को ध्यान में रखते हुए जदयू पर निशाना साध रहे हैं.
पिछले चुनाव के हाल
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में रालोसपा के खाते में 3.6 फीसदी वोट समेत दो सीटें आईं. वहीं, बसपा को 2 प्रतिशत से कुछ ज्यादा वोट मिले थे. बीते साल ओवैसी की पार्टी ने भी राज्य में हुए उपचुनाव में किशनगंज सीट पर जीत दर्ज कर अपनी सियासी पारी की शुरुआत कर दी थी. बसपा की भी राज्य में मौजूदगी बनी हुई है. फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 6 सीटें हासिल की थीं. हालांकि, पार्टी ने 2015 में 228 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी.